मनुष्य धरती का अनोखा जीव है जिसे हर तरह से सुख-सुबुधायें प्राप्त है, और अन्य से अलग दिखने का रहस्य है प्रेम या बिचारों की अभिब्यक्ति! प्रेम ऐसा माध्यम है जिसका सम्बन्ध ज्ञान से है! जब प्रेम रुपी सूर्य उदय होता है तो अज्ञान व आशक्त रुपी मोह का अंत होता है, प्रेम अनेकता में एकता की कड़ी है! इसका गणित अनोखा है जिसमे एक और एक का जोड़ हमेशा एक ही होता है! जिसे हम प्रेम करते हैं उशे कभी याद करने की जरूरत नहीं होती,वह स्वतः आत्मसात होता है! मगर प्रेम उसी में है जो पूर्ण होता है यानि जो शिक्षा,आचरण,ज्ञान सभी में सक्षम है!प्रेम स्वतः से होता जिसे सिर्फ बलिदान से पाया जा सकता है!
मनुष्य धरती का अनोखा जीव है जिसे हर तरह से सुख-सुबुधायें प्राप्त है, और अन्य से अलग दिखने का रहस्य है प्रेम या बिचारों की अभिब्यक्ति! प्रेम ऐसा माध्यम है जिसका सम्बन्ध ज्ञान से है! जब प्रेम रुपी सूर्य उदय होता है तो अज्ञान व आशक्त रुपी मोह का अंत होता है, प्रेम अनेकता में एकता की कड़ी है! इसका गणित अनोखा है जिसमे एक और एक का जोड़ हमेशा एक ही होता है! जिसे हम प्रेम करते हैं उशे कभी याद करने की जरूरत नहीं होती,वह स्वतः आत्मसात होता है! मगर प्रेम उसी में है जो पूर्ण होता है यानि जो शिक्षा,आचरण,ज्ञान सभी में सक्षम है!प्रेम स्वतः से होता जिसे सिर्फ बलिदान से पाया जा सकता है! 

3 comments:
इस नए ब्लॉग के साथ नए वर्ष में हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. अच्छा लिखते हैं आप .. आपके और आपके परिवार वालों के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!
प्रेम ही जीवन है......
पत्रकारिता की राह ---------- बहुत कठिन है डगर पनघट की ..
एक बार फिर सोच लो भाई
नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ ब्लाग जगत में द्वीपांतर परिवार आपका स्वागत करता है।
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