कुंभ मेला विश्व भर में धार्मिक उद्देश्यों से लगने वाला सबसे बड़ा मेला है। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केवल हिंदू ही नहीं, अन्य धर्मों के अनुयायी भी इसकी प्रतीक्षा करते हैं। लेकिन सच तो यह है कि कुंभ केवल एक साधारण धार्मिक मेला ही नहीं है। वास्तव में कुंभ का मेला अमृत का एक भंडार है। यह तभी लगता है जब अंतरिक्ष में कुछ खास ग्रह जैसे चंद्रमा, सूर्य और वृहस्पति एक खास अवस्था में होते हैं।
ये ग्रह एक खास दिशा में घूमते हैं, जिससे एक विशेष प्रकार की ऊर्जा निकलती है और यह ऊर्जा एक खास समय पर खास स्थानों पर पहुंचती है। इस ऊर्जा का संचार हर 12 साल में तय स्थान पर होता है, जिसमें हरिद्वार, उज्जैन, इलाहाबाद और नासिक शामिल हैं। यह अंतरिक्षीय ऊर्जा एक साथ 45 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में प्रवाहित होती है।
साल 2010 में कुंभ का मेला हरिद्वार में लग रहा है। पानी ऊर्जा के संचार का सबसे तेज माध्यम है, इसलिए कुंभ के मेले में स्नान का विशेष महत्व है। ऊर्जा का यह अमृत 45 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में आने वाले सभी झील, तालाब और नदियों में प्रवाहित होता है।
कुंभ के दौरान बह्मकुंड का पानी भी ऊर्जा से भरा होता है। हरिद्वार में दो ब्रम्हकुंड हैं। नीलधारा हरिद्वार का सबसे पुराना बह्मकुंड है, जबकि हर की पौड़ी नया लेकिन सबसे लोकप्रिय बह्मकुंड है। ऊर्जा का यह अमृत इन स्थानों पर लगातार प्रवाहित होता रहता है। यह खुद आप पर निर्भर करता है कि आप इसे कैसे ग्रहण करते हैं। प्रकृति या भगवान के इस अद्भुत देन को ग्रहण करने की क्षमता यहां काफी मायने रखती है।
आम लोगों में यह धारणा प्रचलित है कि हर की पौड़ी भगवान तक पहुंचने का एक दरवाजा है। गंगा नदी में स्नान करने वाला हर श्रद्धालु इसी विश्वास के साथ कुंभ के दौरान हरिद्वार पहुंचता है।
नीलधारा के बारे में प्रचलित विश्वास यही है कि भगवान विष्णु ने यहीं पर देवताओं के बीच 'विश्वमोहिनी' अमृत का वितरण किया था।
हर की पौड़ी हालांकि बाद में निर्मित हुआ है, लेकिन यहां सत, रज और तम अर्थात बह्मा, विष्णु एवं महेश, तीनों की शक्तियां एक साथ मिलती हैं। इसका असर हमारे शरीर, मस्तिष्क एवं हमारी आत्मा पर पड़ता है। यदि हम इस दौरान पानी में योग एवं साधना करें, तो हमारी आत्मा में ये तीनों शक्तियां एक साथ प्रवाहित हो सकती हैं।
लाखों-करोड़ों लोग इस कुंभ के दौरान स्नान के लिए यहां जमा हो रहे हैं। हरिद्वार तपस्या की भूमि है। कुंभ के दौरान यहां आकर, हर की पौड़ी में स्नान कर आप भी अपनी आत्मा में अद्भुत शक्तियों का संचार करने में सफल हो सकते हैं।
Post Top Ad
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEitYaYpTPVqSRjkHdQQ30vpKI4Tkb2uhaPPpRa2iz3yqOvFNx0PyfRqYxXi_SO2XK0GgZ9EjuSlEcmn4KZBXtuVL_TuVL0Wa8z7eEogoam3byD0li-y-Bwvn9o2NuesTPgZ_jBFWD2k0t4/s1600/banner-twitter.jpg
Jan 20, 2010
Home
Unlabelled
=> हरिद्वार में कुंभ मेले का आध्यात्मिक पक्ष
=> हरिद्वार में कुंभ मेले का आध्यात्मिक पक्ष
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Post Top Ad
Your Ad Spot
Author Details
Hello Everybody!!!
I am Trinath Mishra, an open minded young celebate, hail from Sultanpur District UP.
I am a Journalist, working as a Executive Editor of "Siyasat Door Tak" & Editor of "Nai Peedhi" Also a part of "SV Music & Film Production Co.Pvt.Ltd. Mumbai" ...
I believe in positive thinking,live always riant and am Right Conversative as well as very friendly person.My Passion is to Become a Perfect Journalist & Fluent Speaker.
No comments:
Post a Comment