- प्रथम अग्रवाल
लॉकडाउन में बंदी के बाद कुछ स्कूलों ने शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन रोक दिया है। जबकि विगत सत्र का शुल्क जमा नहीं होने का हवाला देते हुए कुछ विद्यालयों ने स्टॉफ को मार्च का वेतन 30 से 50 फीसद काटकर भुगतान किया है। इसे लेकर शिक्षकों व कर्मचारियों में रोष है।
वेतन काटने-रोकने की ज्यादातर शिकायत जूनियर हाईस्कूल स्तर के विद्यालयों की आ रही है। इनके शिक्षकों व कर्मचारियों का कहना है कि वेतन के रूप में पांच से दस हजार प्रतिमाह मिलता है। इसी पैसे में परिवार का भरण-पोषण करना होता है। ऐसे में बचत के नाम पर एक भी पैसा नहीं हैं। अध्यापक होने के कारण हम लोगों को कोई सरकारी सहायता भी नहीं मिलती और न मिलने की उम्मीद है। ऐसे में यदि वेतन रोक या काट कर भुगतान किया जाता है तो दो वक्त की रोटी जुटाना भारी पड़ेगा। नाम उजागर होने पर उन्हें नौकरी जाने का भी भय सता रहा है।
अभिभावकों की शिकायत थी कि निजी स्कूलों ने 1 अप्रैल को ही फीस जमा कराने के मैसेज भेजने शुरू कर दिए हैं. कई स्कूलों ने तो रिमांइडर भी भेजे हैं. अभिभावकों का कहना था कि लॉकडाउन के दौरान फीस देना बेहद मुश्किल है।सरकार जब ईएमआई समेत अन्य चीजों में राहत दे रही है, तो निजी स्कूल कैसे फीस मांग सकते हैं।
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