इस विवादित इलाके में चीनी सेना ने अपने दो से ढाई हजार सैनिकों की तैनाती की है और वह धीरे-धीरे अस्थायी निर्माण को मजबूत कर रही है. एक उच्च सैन्य अधिकारी ने कहा, 'क्षेत्र में भारतीय सेना चीन से कहीं ज्यादा बेहतर स्थिति में है.'
गलवान घाटी में दरबुक शयोक दौलत बेग ओल्डी सड़क के पास भारतीय चौकी केएम-120 के अलावा कई महत्वपूर्ण ठिकानों के आसपास चीनी सैनिकों की तैनाती भारतीय सेना के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है.
सेना की उत्तरी कमान के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डी एस हुड्डा ने कहा, 'यह गंभीर मामला है. यह सामान्य तौर पर किया गया कब्जा नहीं है.' लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने जोर देते हुए कहा कि गलवान क्षेत्र पर दोनों पक्षों में कोई विवाद नहीं है, इसलिए चीन द्वारा यहां अतिक्रमण किया जाना चिंता की बात है।
रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ एवं चीन में भारत के राजदूत रह चुके अशोक कांत ने भी लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा से सहमति जताई. उन्होंने कहा, 'चीनी सैनिकों ने कई बार घुसपैठ की गई है. यह चिंता की बात है. यह सामान्य टकराव नहीं है. यह परेशान करने वाला मामला है.' सूत्रों की मानें तो पैंगोंग त्सो, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र में दोनों देश की सेनाओं के बीच बढ़ते तनाव को कम करने के लिए राजनयिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
सैटेलाइट सबूत भी आया सामने
भारत और चीन के सैनिक लद्दाख में सीमा पर कई जगहों पर आमने सामने हैं और दोनों देशों की सेनाओं के बीच बातचीत से गतिरोध का कोई हल नहीं निकल सका है. सूत्रों के मुताबिक भारतीय सेना ऐसी स्थिति में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनावपूर्ण लंबी खींचतान के लिए तैयार है. दोनों देशों ने सैनिकों की तैनाती को बढ़ाया है. दोनों पक्षों की ओर से एक-एक हजार से अधिक सैनिक बहुत कम फासले पर मौजूद हैं।
यूरोपियन स्पेस एजेंसी की ओर से ली गई सैटेलाइट तस्वीरें लद्दाख में पैंगोंग झील के पास ITBP कैम्प के सामने चीनी सैनिकों के बिल्ड-अप की पुष्टि करती है. पिछले एक महीने की तस्वीरों से तुलना की जाए तो इस अवधि में LAC के दूसरी ओर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के मूवमेंट का पता चलता है. 24 मई की तस्वीरों का विश्लेषण ITBP शिविर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर छोटी नावों के इस्तेमाल के जरिए चीनी सैनिकों के संभावित मूवमेंट को दिखाता है।
तस्वीरों का ऐतिहासिक विश्लेषण बताता है कि सीमा के इस तरफ भारतीय हिस्से में ITBP का कई साल से स्थायी कैम्प है. ये तस्वीरें LAC से लगभग 2.5 किलोमीटर की दूरी पर चीनी सैनिको की उपस्थिति का संकेत देती हैं. ये उपस्थिति मई 2020 के पहले हफ्ते में ली गई तस्वीरों में नहीं दिख रही थी।
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