कोरोना वायरस के संक्रमण के बारे में जानकारी देने के लिए हर दिन शाम में भारत सरकार के जो अधिकारी प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए बैठते थे वे बड़ी शान से एक आंकड़ा बताते थे। उनके पास यह बताने के लिए जरूर होता था कि कोरोना का संक्रमण दोगुना होने का समय बढ़ गया है। उन्होंने हर प्रेस कांफ्रेंस में यह आंकड़ा दिया। वे इस बात से खुश थे कि पहले जो मामले चार दिन में दोगुने हो रहे थे वो अब 12 दिन में हो रहे हैं। पर बुधवार को इसे लेकर एक बड़ा झटका लगा। मंगलवार तक कहा जा रहा था कि संक्रमण के मामले 12 दिन में दोगुने हो रहे हैं और बुधवार को कहा गया कि इनके दोगुना होने की अवधि 11 दिन हो गई है। तो क्या यह माना जाए कि अब संक्रमण का चक्र तेजी से घूमने लगा है या पहले जो सुधार हो रहा था उसकी गति उलटी हो गई है?
इसे समझना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है। अगर आंकड़ों की बाजीगरी को छोड़ दें तो पहली नजर में संख्या देख कर ही समझ में आ रहा था कि मरीजों की संख्या बढ़ रही है। पर सरकारी अधिकारी आंकड़ों की बाजीगरी में लोगों को उलझा रहे थे। अब हकीकत है कि पिछले पांच दिन में यानी दो से छह मई के बीच 13 हजार नए मामले आए हैं। दो मई को मरीजों का आंकड़ा 40 हजार पर था, जो छह मई की शाम तक बढ़ कर 53 हजार से ज्यादा हो गया। औसतन साढ़े तीन हजार नए मामले हर दिन आ रहे हैं। भारत के सात राज्य ऐसे हैं, जहां तीन हजार से ज्यादा मामले हैं। महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में कुल 43 हजार मामले हैं और देश के बाकी राज्यों में सिर्फ दस हजार केसेज हैं।हालांकि इन राज्यों में संक्रमण के मामले कम होने का यह मतलब नहीं है कि वहां संक्रमण नहीं फैल रहा है। वहां भी संक्रमण फैला हुआ है पर चूंकि जांच बहुत मामूली हो रही है इसलिए संख्या का वास्तविक अनुमान नहीं लग पा रहा है। जहां भी ज्यादा जांच हुए हैं वहां मामले ज्यादा आए हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत सबसे ज्यादा मामले वाले शीर्ष 12 देशों में शामिल हो गया है।
यह केंद्र और राज्यों की सरकारों के लिए भी चिंता की बात होनी चाहिए कि पूरी तरह से लॉकडाउन के बावजूद इतनी तेजी से संक्रमण क्यों फैल रहा है? ध्यान रहे सरकार ने धीरे धीरे करके जो छूट देनी शुरू की है वह मुख्य रूप से तीन मई के बाद मिली है। 22 अप्रैल के बाद कुछ छूट जरूर दी गई थी पर वह मामूली थी। इसके बावजूद संभव है कि 22 अप्रैल के बाद मिली छूट का असर दो मई से देश में दिख रहा हो। सभी जानकार यह मानते हैं कि लक्षण पूरी तरह से दिखने में दस दिन का समय लग सकता है। तभी खतरा यह है कि तीन मई के बाद जो छूट दी गई है उसका असर आने वाले हफ्तों में दिखेगा। आने वाले हफ्तों में कोरोना वायरस का संक्रमण और ज्यादा बढ़ सकता है।
भारत के साथ मुश्किल यह है कि भारत ने संक्रमण पर काबू पाए बगैर ही लॉकडाउन में छूट देनी शुरू कर दी है। दुनिया के दूसरे देशों ने लॉकडाउन में छूट तब दी, जब उनके यहां मामले कम होने लगे। अमेरिका, स्पेन, इटली, फ्रांस आदि देश अपने यहां लॉकडाउन की शर्तों में छूट दे रहे हैं तो उससे पहले उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि वायरस का संक्रमण थम जाए। उनके नए मामले आने और लोगों के मरने की संख्या में अच्छी खासी गिरावट आ गई, उसके बाद उन्होंने लॉकडाउन की शर्तों में ढील दी। इसके बावजूद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अब लोग ज्यादा संक्रमित होते हैं या मरते हैं तो मरें, हम देश को तीन साल तक लॉकडाउन में नहीं रख सकते। सोचें, उनकी फ्रस्ट्रेशन कैसी है। पर इतनी हिम्मत दिखाई, जो यह बात की।
अब या तो भारत सरकार भी इतनी हिम्मत दिखाए और कहे कि हम लॉकडाउन में छूट दे रहे हैं, इससे ज्यादा लोग संक्रमित होते हैं तो हों! पर भारत में ऐसा भी नहीं कहा जा रहा है। भारत में झूठी दिलासा दिलाई जा रही है कि यहां दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले हालात बहुत अच्छे हैं। हैरानी की बात है कि भारत सरकार के अधिकारियों से जब दूसरे देशों में दिए जा रहे राहत पैकेज के बारे में पूछा जाता है तो वे कहते हैं कि भारत की तुलना दूसरे देशों से नहीं की जा सकती पर अगली ही सांस में वे संक्रमितों की संख्या के मामले में दूसरे देशों से तुलना करने लग जाते हैं। हालांकि वह तुलना भी अब खत्म हो जानी चाहिए क्योंकि भारत तेजी से सबसे अधिक संक्रमण वाले शीर्ष दस देशों की सूची में शामिल होने की ओर बढ़ रहा है। पिछले चार दिन के संक्रमण के मामले देख कर ऐसा लग रहा है कि सरकार ने अपने किए धरे पर पानी फेर दिया है। भारत में दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में सारे काम उलटे हो रहे हैं।
दुनिया के देशों में जब संक्रमितों की संख्या बढ़ी तो लॉकडाउन लगा और जब घटने लगी तो लॉकडाउन हटा। भारत में जब गिने-चुने मामले थे तब अचानक सारे देश में चार घंटे की नोटिस पर लॉकडाउन कर दिया गया और जब मामले 50 हजार पहुंच गए और हर दिन साढ़े तीन हजार मामले आने लगे तो लॉकडाउन खोला जाने लगा। तभी ऐसा लग रहा है कि भारत में आने वाले दिनों में वायरस का संक्रमण बढ़ने की रफ्तार तेज होगी। नए एपीसेंटर उभरेंगे। जहां अभी कम मामले हैं, वहां संख्या बढ़ेगी। इससे आम लोगों के जीवन और देश की आर्थिकी के लिए नया संकट खड़ा होगा।
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