उन्होंने कहा कि, छात्रों को ऑनलाइन कार्य दिया जा रहा है, वेबसाइट, पोर्टल के द्वारा विभिन्न तरह की पाठ्य पुस्तकें भी उपलब्ध हो रही है। ऑनलाइन शिक्षा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं, जैसे क्या इससे छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो सकती है?
#OnlineEducation के द्वारा क्या छात्रों को बौद्धिक रूप से विकसित किया जा सकता है, और इससे भी बड़ा प्रश्न है कि ऑनलाइन शिक्षा से छात्रों के मध्य बड़ा अंतर तो जन्म नहीं ले लेगा क्योंकि लैपटॉप, कम्प्यूटर, स्मार्ट मोबाइल की सुविधा प्रत्येक परिवार के पास उपलब्ध नहीं है इसलिए यह बड़े महत्वपूर्ण प्रश्न है। शासन को इस तरफ गम्भीरता पूर्वक ध्यान देते हुए शीघ्र निर्णय करना चाहिए और ऑनलाइन के इस चक्र को रोकने के साथ 12वीं कक्षा तक के छात्रों को इससे मुक्त करने और शिक्षण सत्र का शुभारंभ जुलाई से करने का आदेश देना चाहिए जिससे किसी भी तरह के भ्रम की स्थिति उत्पत्ति ना हो पाए साथ ही कोर्स में भी कुछ प्रतिशत की कमी करने के लिए विशेषज्ञों के साथ मंत्रणा करनी चाहिए।
क्योंकि प्रायः यह देखा जाता है कि बहुत सारे शिक्षण संस्थान कोर्स को बिना वजह बड़ा बनाए रखते हैं जिससे किताबों और कापियों में भी मुनाफे का खेल चलता रहें इसलिए वर्तमान परिदृश्य के मद्देनजर सरकार को परिस्थितियों के अनुसार जुलाई से सत्र के शुभारंभ की घोषणा के साथ कोर्स में भी कुछ प्रतिशत कटौती की घोषणा कर छात्रों और उनके परिजनों को राहत देने की अविलंब घोषणा करनी चाहिए।
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