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Jan 10, 2010

=> पंकज उदास

पंकज उदास एक ऐसे गजल गायक, जिनकी गजलें हमेशा से महफिलों की शान बनती रही हैं, फिर चाहे वह नशे में माफी मांगते किसी युवा की दरख्वास्त हो या फिर बेवतनों को अपनी मिट्टी की याद दिलाती चिट्ठी।
आइये जानते हैं इस प्रसिद्ध ग़ज़ल गायक के बारे में......


     राजकोट के नजदीक "चरकरी" नाम की जागीर उदास परिवार की थी। उदास परिवार में मेरे दादा जी डोसा भाई ऐसे पहले व्यक्ति थे, जो स्कूल गए। हमारे गांव के पास ही गोंडल स्टेट था दादा जी वहां पढ़ने जाते थे। गोंडल महाराजा की शिक्षा में विशेष रुचि थी। उन्होंने पूना स्थित प्रसिद्ध फ‌र्ग्यूसन कॉलेज को एक बड़ी रकम डोनेशन के रूप में इस शर्त के साथ दी थी कि कॉलेज की चार सीटें गोंडल स्टेट के लिए रिजर्व रहेंगी। मेरे दादा जी गोंडल महाराज से मिले और फग्र्यूसन कालेज में पढ़ने की इच्छा जताई। 1902 में जब उन्होंने वहां से बीए पूरा किया तो सौराष्ट्र के वह पहले स्नातक थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद जब वे घर आए, तो उन्होंने जमींदारी से अनिच्छा जताते हुए नौकरी करने को प्राथमिकता दी। भावनगर के महाराजा कृष्ण कुमार सिंह ने उन्हें अपने स्टेट का कलेक्टर नियुक्त किया। दादा जी के साथ मेरे पिताजी का भी आना-जाना भावनगर पैलेस में होता था। महाराजा कृष्ण कुमार के दरबार में अब्दुल करीम खां साहब बीनकार थे। मेरे पिता उनसे बहुत प्रभावित हुए और खां साहब से दिलरुबा ( सारंगी जैसा वाद्य यंत्र) सीखने की इच्छा जताई। धीरे-धीरे मेरे पिता इस साज के साथ ही संगीत के अच्छे जानकार हो गए। परिवार में भी संगीत का माहौल बनने लगा। यही वजह रही कि मनहर, निर्मल और फिर मेरा जुड़ाव संगीत से हुआ। मेरे पिता जी ज्यादा सामाजिक नहीं थे। शाम को जब घर आते तो रियाज में जुट जाते। ऐसे माहौल में हम लोग बड़े हुए तो संगीत से लगाव होना लाजिमी था।

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