'No candle looses its light while lighting up another candle'So Never stop to helping Peoples in your life.

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Jun 3, 2010

=> शिक्षा

किसी देश के लिए शिक्षा उतना ही जरूरी है जितना न्जीवन के लिए वायु, प्रगति तभी हो सकती है जब प्रत्येक ब्यक्ति शिक्षित हो! किसी बस्तु या विचार के सीखने की इक्षा को ही शिक्षा कहते है दूसरे शब्दों में मन की आवाज़ को पहचानना व समझाना ही शिक्षा कहलाती है! शिक्षित मनुष्य ही श्वास्त्य समाज की नव रख सकता है, शिक्षा के शेत्र में भारत एक अग्रणी मन जाता रहा है जिनमे नागार्जुन, चरक, आर्याभात्ता व महात्मा बुद्ध जैसे लोंगो ने भारत को एक नै दिशा दिखाई वाही स्वामी विवेकानंद, विनोवा भावे व भाररेंदु हरिश्चंद व प्रेमचाँद जैसे महापुरुषों ने इशे प्रगतिशील युग में तब्दील कर दिया!
आज भारतीय लोकतंत्र मंदिर-मस्जिद,नेता-अभिनेता अदि मुद्दों में उलझा हुआ हईसी बीच ६३ सावन बीत गए हैन्मागर शिक्षा व प्रगति का हर सवाल संशय युक्ता नजर आता है!एक तरफ दिन दूनी रात चौगनी प्रगति करता भारत मगर दूसरी तरफ्वाही गुलाम भारत जो ट्रस्ट है भुखमरी, गरीबी,व अशिक्षा से; एक साथ दो भारत का मर्म रहस्यमयी है.शिक्षा को ब्यावाशय बना लिया गया हैओर सरेआम इसकी तावाहीनी की जा रही है! पैसा कमाने की अंधी दौर ने अयोग्य लोंगो कोशिक्षा के चेत्र में धकेल दिया है और प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए लोग शर्त कट का सहारा ले कर किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं!
शिक्षा का गिरत अस्तर पूरे मानव जीवन के लिए खतरा बना हुआ है! सन-२००८ के बिश्वा बैंक सर्वेक्षण के अनुसार हर साल एक-करोड़ युवा ग्रादुअते होते हैन्मागर ९०% ग्रादुअते युवा नौकरी लायक नहीं हैं! इश बदतर इस्थित का जिम्मेदार पूरा समाज मन जा सकता है! देश के ९०% कॉलेज ग्राडिंग एक्साम में फेल हो जाते हैं जो काफी हैं इन सभी की कुँलिटी को बिस्तर देने में!

शिक्षा के प्रकार:-
शिक्षा कितने तरह की होती है और इसका उद्देश्य क्या है यह स्पस्ट करने की आवस्यकता है! शिक्षा कई तरह की होती है,
पहली शिक्षा माँ-बाप के द्वारा दी जाती है जो बहद बुनियादी मणि जाती हैबच्चे की भाभिस्य की ईमारत इसीपर टिकी होती है!
दूसरी शिक्षा या द्वतीय चरण किताबी ज्ञान है यानि स्कूलिंग इसमे बच्चो को बोलने की आदत व भले बुरे के पहचान की जानकारी दी जाती!
तीसरा चरण बच्चों को नैतिक, सामाजिक व पारिवारिक पहलुओं से अवगत कराया जाता है जिससे इनमे चतुएयता व सामजिक कर्तब्यों के निर्वहन की क्षमता का विकाश होता!
चौथे चरण में बच्चों कोअपने कर्तब्यों, देश व सामाजिक दैत्यों की गहन व बिस्तृत जानकारी दी जाती है, उनके रहन सहन, बत्चेत व बिभिन्न गतिबिधियों के बारे में बताया जाता है व उनके स्वयं के द्रिस्तिकोद से अवगत कराया जाता है!
इन सबके अलावां महत्वापूर्न्व पांचवा चरण प्रायोगिक ज्ञान भी है क्योंकि रति-रटाई चीजों को परखने के लिए यही उपयोग में लाया जाता है, अनुभव व प्रायोगिक ज्ञान पर खरा उतरने पर ही कोई बचा शिक्षित कहाकता है! इस प्रकार शिक्षा चतुर्मुखी विकाश का पर्याय है जो सही दिशा व संतुलित तरीके से चले तोपूरे विस्वा का कल्याण हो सकता है!

शिक्षा के लाभ:-
शिक्षा एक भर-रहित अस्त्र है जिससे अति सक्तिसली बस्तुओं का संघर किया जा सकता है, इसे न तो चोर चुरा सकता है न तो खंडो में बिभाजित किया जा सकता है, शिक्षित होने से हम ठगी के शिकार नहीं हो सकता और नहीं कोई हमारा दुरुपयोग कर सकता है! पारिवारिक विकाश शिक्षित सदस्यों से संभव है, स्वयं शिक्षित होने से परिवार का विकाश और क्रमशः समाज,राज्य,देश व इसके इतर पूरे बिश्वा का कल्याण संभव है!
किसी योजना का लाभ शिक्षित वर्ग ही ले पायेगा, शिक्षित रहने से जागरूकता आएगी और हम एक नए स्वर्ग रुपी कल्पित समाज को साकार रूप देने में समर्थ हो सकेंगें,अतः मानव उत्थान का एक मात्र उपाय शिक्षा है!

1 comment:

Anonymous said...

तुम्हारी हिंदी एकदम थर्ड क्लास है बन्धु

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