करो कुछ क़र्ज़ ऐसा की अँधेरा खुद ब खुद जाए
माँ तू बैभवशाली है
तू ही दुर्गा काली है
चामुंडी-सतचंडी तू
तुन ही पालनहारी है
करूँ कैसे तेरी भक्ति ये बालक ज्ञान से हरे
हे अम्बे दे दो एक शक्ति .........................
तू शिव की दाहिनी है
महिसासुर मर्दिनी है
तेरे दरबार में माँ
नहीं कोई कमी है
करूँ कैसे तेरा दर्शन ये अँधा आँख से हारे
हे अम्बे दे दो एक शक्ति ........................
तू माता है हमारी
कमलवत चरणों वाली
ममतामयी जननी है तू
दुखो को हरने वाली
पहाड़ों पे बसी है तू ये लंगड़ा पैर से हारे
हे अम्बे दे दो एक शक्ति .......................
जो हैं निर्धन जगत में
तू बसी उनके मन में
फेर दे एक नजर गर
खुशियाँ भर दे झोली में
रहूँ कैसे खुसी माता ये बझिन लाल से हारे
हे अम्बे दे दो एक शक्ति ....................
त्रिनाथ मिश्रा
फ्रीलांस जर्नलिस्ट
1 comment:
बहुत ही सुंदर भजन है।
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