नई दिल्ली। होली (Holi) में रंगों के साथ-साथ होलिका दहन (Holika Dahan) की पूजा का भी खास महत्व है। रंगों वाली होली (Holi 2019) से एक दिन पहले चौराहों पर होलिका दहन किया जाता है। इसे छोटी होली (Chhoti Holi) और होलिका दीपक (Holika Deepak) भी कहते हैं. इस दिन बड़ी संख्याओं में महिलाएं होली की पूजा करती हैं. मान्यता है कि इस पूजा से घर में सुख और शांति आती है। अगर आप भी इस बार होलिका दहन की पूजा कर रही हैं, तो यहां दी गई आसान विधि को देखें। आपको बता दें, इस बार रंगों वाली होली 21 मार्च और होली की पूजा 20 मार्च को की जानी है।
होली का डंडा
पूजा के लिए होलिका दहन के लिए होली जलाई जाती है, ये होली माघ महीने की पूर्णिमा के दिन से शुरू हो जाती है। इस दिन से ही महिलाएं गुलर के पेड़ की टहनी को चौराहों पर गाड़ देती हैं, इसे होली का डंडा गाड़ना कहते हैं। इसके बाद होली की पूजा के दिन तक धीरे-धीरे लड़कियां बढ़ाई जाती हैं। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन इसी होली को जलाकर गांव की महिलाएं होली का पूजन करती हैं।होली पूजा के लिए सामग्री
गोबर के बिड़कले (पूजा के बाद होली में डालने के लिए), गोबर, एक लोटा पानी या गंगाजल, फूलों की मालाएं, कच्चा सूत, पंचोपचार (पांच प्रकार के अनाज जैसे नए गेहूं और अन्य फसलों की बालियां), रोली, अक्षत, साबुत हल्दी, बताशे, गुलाल, बड़ी-फुलौरी, मीठे पकवान या मिठाइयां और फल.होलिका दहन पूजा-विधि
- सबसे पहले होलिका पूजन के लिए पूर्व या उत्तर की ओर अपना मुख करके बैठें
- अब अपने आस-पास पानी की बूंदे छिड़कें
- गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं
- थाली में रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबुत हल्दी, बताशे, फल और एक लोटा पानी रखें
- नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए प्रतिमाओं पर रोली, मौली, चावल, बताशे और फूल अर्पित करें
- अब सभी सामान लेकर होलिका दहन वाले स्थान पर ले जाएं
- अग्नि जलाने से पहले अपना नाम, पिता का नाम और गोत्र का नाम लेते हुए अक्षत (चावल) में उठाएं और भगवान गणेश का स्मरण कर होलिका पर अक्षत अर्पण करें
- इसके बाद प्रहलाद का नाम लें और फूल चढ़ाएं
- भगवान नरसिंह का नाम लेते हुए पांचों अनाज चढ़ाएं
- अब दोनों हाथ जोड़कर अक्षत, हल्दी और फूल चढ़ाएं
- कच्चा सूत हाथ में लेकर होलिका पर लपेटते हुए परिक्रमा करें
- गोबर के बिड़कले को होली में डालें
- आखिर में गुलाल डालकर लोटे से जल चढ़ाएं
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