नई दिल्ली। #जम्मू_कश्मीर की असमंजस वाली स्थिति से आखिरकार बाहर लाया गया और यह स्पष्ट कर दिया गया कि सरकार कश्मीर के मामले में क्या करने वाली है। धारा 370 हटाने के बाद से अब सवाल यह है कि हमें क्या फायदा होगा और कश्मीर के घुसपैठियों को क्या नुकसान होगा। #गृह_मंत्री #अमित_शाह ने राज्यसभा में #अनुच्छेद_370 के सभी खंड को न लागू करने का फैसला किया। अनुच्छेद 370 में अब सिर्फ खंड 1 रहेगा। तो सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर क्या सहूलियतें मिलेंगी धारा 370 के हटने के बाद -
आपको बता दें कि अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार का दर्जा देता था जो अब समाप्त हो गया है।
रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार अब खत्म हो गया है।
अन्य राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नही खरीद सकते थे लेकिन अब बाहर के लोग भी जमीन खरद सकते हैं।
कश्मीर की महिलाओं पर शरियत कानून लागू था जिसकी वजह से उनकी जिंदगी नरकीय हो गई थी लेकिन अब उन्हे इस कानून से निजात मिलेगी।
कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदुओं और सिखों को 16 फीसदी आरक्षण नहीं मिलता था, लेकिन धारा 370 हटने के बाद से लाभ भी मिलना शुरू हो जाएगा।
जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का था जबकि अन्य राज्यों में यह समय पांच वर्ष का होता है।
भारत की संसद के पास जम्मू-कश्मीर के संबंध में कानून बनाने का बहुत ही सीमित दायरे में अधिकार था जो अब संसदीय कानून के दायरे में आ जाएगा।
यदि जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी कर ले तो उस महिला की जम्मू-कश्मीर की नागरिकता खत्म हो जाती थी।
यदि कोई कश्मीरी महिला पाकिस्तान के किसी व्यक्ति से शादी करती थी, तो उसके पति को भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी यानी किसी भी पाकिस्तानी को आसानी से जम्मू में रहने का लायसंस मिल जाता था।
जम्मू-कश्मीर का झंडा अलग होता था जिसे खत्म कर दिया गया है और अब वहां भी सिर्फ भारतीय झंडा ही रहेगा। जम्मू-कश्मीर में पंचायत के पास कोई अधिकार नहीं था।
दोहरी नागरिकता के प्रावधान के चलते जम्मू-कश्मीर के लोग ज्यादा उत्पात मचाते थे, जिससे पत्थरबाजों की संख्या का इजाफा होता चला गया।
धारा 370 के तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि खरीदने का अधिकार था।
सूचना का अधिकार कानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं था, लेकिन धारा 370 हटने के बाद RTI कानून लागू हो जाएगा।
शिक्षा का अधिकार और CAG का कानून भी यहां लागू नहीं था जो अब तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगा।
जम्मू कश्मीर राज्य को बर्खास्त करने की पॉवर राष्ट्रपति के पास नहीं थी लेकिन इस अनुच्छेद के हटने के बाद यह भी संभव होगा।
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