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भोपाल. भोपाल मास्टर प्लान में लेटलतीफी का असर आवासीय एवं व्यावसायिक क्षेत्रों पर पड़ा है। नियम और प्लानिंग के अभाव में शहर के अलग-अलग हिस्सों में आवासीय लैंड यूज होने के बावजूद व्यावसायिक क्षेत्र विकसित हुए। नगर निगम और टीएंडसीपी के दस्तावेजों में ये क्षेत्र आवासीय, ग्रीन बेल्ट और पीएसपी जैसे कम घनत्व वाले शांत स्थानों में शामिल हैं। रहवासी कोलाहल और पार्किंग की समस्या से जूझ रहे हैं। जानकारों के मुताबिक प्रस्तावित मास्टर प्लान-2031 में रहवासी क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने संबंधी प्रावधान के साथ ही इन पर सख्ती से पालन किया जाए।
कॉलोनियों में हैं 400 से अधिक बाजार
रहवासी क्षेत्रों में 400 से अधिक छोटे-बड़े बाजार विकसित हो गए हैं। इसके लिए न तो मास्टर प्लान में कहीं उल्लेख किया गया था और न ही निगम से अनुमति ली गई। लोगों ने घर के मिनिमम ओपन स्पेस में दुकानें बना लीं। मास्टर प्लान-2031 के लिए सर्वे में ये तथ्य सामने आए हैं। ऐसी दुकानों की शिकायत निगम अफसरों से की जाती है, पर कार्रवाई नहीं होती।
मिक्स लैंड यूज को बना दिया व्यावसायिक
मास्टर प्लान 2005 में एक भी क्षेत्र पूरी तरह व्यावसायिक नहीं था। न्यू मार्केट, एमपी नगर जैसे व्यावसायिक क्षेत्रों के लिए मिक्स लैंड यूज तय था, यानी ग्राउंड फ्लोर पर दुकानें तो ऊपरी तल पर परिवार रहेंगे। नगर निगम की अनदेखी से ये क्षेत्र पूरी तरह व्यावसायिक हो गए हैं। इसके नतीजा ट्रैफिक जाम और पार्किंग की समस्या के रूप में सामने आ रहे हैं।
रहवासी क्षेत्रों में सुकून छीनती दुकानें
अवधपुरी क्षेत्र में न्यू फोर्ट एक्सटेंशन, शिव मंदिर के पास से विद्यानगर कॉलेज के सामने तक आवासीय क्षेत्र में शायद ही कोई मकान बाकी है, जहां एमओएस में दुकानें न खोली गई हों।
नेहरू नगर, जवाहर चौक, अरेरा कॉलोनी, साकेत नगर, शक्ति नगर, इंद्रपुरी, बैरागढ़ समेत पुराने शहर में आवासीय क्षेत्रों में दुकानें और कार्यालय खोल लिए गए हैं।
कोलार की 30 कॉलोनियों में मार्केट बन गए। गुलमोहर की 80 फीट रोड किनारे बहुमंजिला आवासीय भवनों की अनुमति थी। इसके बाद भी ग्राउंड फ्लोर में दुकानें खोल ली गई हैं।
दस साल में हुआ बेतरतीब विकास
सुनियोजित विकास के लिए प्लान नहीं होने से शहर इसके बिना ही विकसित हो गया। दस साल पहले जिन क्षेत्रों में कुछ ही लोग थे, वहां थोड़ी सी चौड़ी सड़कों पर बाजार बन गए। इससे गतिविधियां और वाहन बढ़े और टै्रफिक जाम-पार्किंग की समस्या आम हो गई। ये परेशानियां नए मास्टर प्लान से दूर की जा सकती हैं। अमृत प्रोजेक्ट के तहत जीआईएस बेस्ड प्लान तैयार किया गया है। इसमें हर घर शामिल है। इससे व्यावसायिक-रहवासी एवं अन्य गतिविधियोंं के क्षेत्रवार आंकड़े उपलब्ध हैं। उम्मीद है कि शहर की गलियों-मोहल्लों में विकसित हुए बेतरतीब बाजारों से होने वाली दिक्कतों का सामाधान हो सकेगा।
रमा पांडे, अर्बन प्लान एवं इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर्स से संबद्ध
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