- Ved Pratap Vaidik
भारत की जनता को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि देश के सभी राजनीतिक दल कोरोना के विरुद्ध एकजुट हो गए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे अपने पत्र में कुछ रचनात्मक सुझाव दिए हैं। केरल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और दिल्ली के गैर-भाजपाई मुख्यमंत्री लोग भाजपाई मुख्यमंत्रियों की तरह डटकर काम कर रहे हैं। गैर-राजनीतिक समाजसेवी लोग तो गजब की सेवा कर रहे हैं।
यह भी गौर करने लायक बात है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा अन्य संगठनों ने जमाते-तबलीगी के मामले का सांप्रदायिकीकरण करने का विरोध किया है लेकिन हमारे कुछ टीवी चैनल इसी मुद्दे को अपनी टीआरपी के खातिर पीटे चले जा रहे हैं। संतोष की बात यह भी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से मलेरिया की कुनेन दवाई भिजवाने का अनुरोध किया है। इस दवाई का परीक्षण करके भारत में ही इसका प्रयोग जमकर क्यों नहीं किया जाए ? हमारे पड़ौसी देशों को यह दवाई बड़े पैमाने पर भारत आगे होकर भेंट क्यों न करे ?
जहां तक सोनिया गांधी के पांच प्रस्तावों का प्रश्न है, सबसे अच्छी बात तो यह है कि उन्होंने मोदी की इस घोषणा का स्वागत किया है कि सांसदों के वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती और सांसद-निधि स्थगित की जाएगी। मैं सोचता हूं कि हर सांसद को स्वेच्छा से कम से कम पांच-पांच लाख रु. कोरोना राहत-कोष में दे देना चाहिए। चुनावों में वे करोड़ों का इंतजाम करते हैं या नहीं ? इस कोष के साथ किसी प्रधानमंत्री या व्यक्ति या पद का नाम जोड़ना हास्यास्पद है और यह कहना तो अत्यंत विचित्र है कि ‘‘पी एम केयर्स फंड’’। क्या देश की चिंता सिर्फ एक ही व्यक्ति को है ? क्या बाकी सब लोग ‘केयरलेस’ (लापरवाह) हैं ?
ये सुझाव भी ठीक है कि कुछ सरकारी खर्चों में भी 30 प्रतिशत की कटौती की जाए। सरकारी खर्चे पर विदेश यात्राएं बंद हों। 20 हजार करोड़ रु. के ‘सेंट्रल विस्टा’ के निर्माण-कार्य को बंद किया जाए। उनका एक और सार्थक सुझाव है। वह भाजपाइयों और कांग्रेसियों दोनों पर लागू होता है। सरकारें और नेतागण अपने धुआंधार विज्ञापनों को रोकें। उस पैसे को कोरोना-युद्ध में लगाएं। सोनियाजी और मोदीजी अपनी पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं को घर से निकलकर दुखी लोगों की मदद करने के लिए क्यों नहीं कहते ? तबलीगियों को गाली देने और शर्मिंदा करने की बजाय उनको जांच और इलाज के लिए उन्हें प्रेरित क्यों न किया जाए ? आखिरकार, वे भी भारतमाता की ही संतान हैं।
Dr. Vaidik is a well-known Scholar, Political Analyst, Orator and a Columnist on national and international affairs.
No comments:
Post a Comment