प्रेम कई तरह से आपको छूता है, स्पर्श करता है.
आपकी साँसों को महका देता है।
और यह सब इतने महीन और नायाब तरीकों से होता है
कि कई बार आप उसे समझ नहीं पाते।
यह एक तरह का जादू है।
यह कभी भी, कहीं भी फूट पड़ता है, खिल उठता है, महक उठता है।
इसी जादुई अहसास से जब प्रेमी अपनी आँखों से जो कुछ भी देखता है
उसे वह प्रेममय जान पड़ता है।
कभी-कभी कोई बहुत ही सादी सी बात दिल को छू जाती है।
और मामला यदि प्रेम कविता को हो तो इसमें सादी सी बात कुछ गहरे असर करती है।
दिल में गहरे उतरकर देर तक गूँजती रहती है।
उस गूँज से आप कुछ खोए-खोए से रहते हैं।
जैसे बहुत ही गहरी और हरे रंग में खिली
किसी घाटी में छोटे छोटे पीले फूलों के बीच आप सब कुछ भुलाए बैठे हों।
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एक कवी की कुछ पंक्तियाँ पेस कर रहा हूँ-
.........एक ऐसी भी घड़ी आती है
जिस्म से रूह बिछुड़ जाती है
अब यहाँ कैसे रोशनी होती
ना कोई दीया, ना बाती है
हो लिखी जिनके मुकद्दर में खिजां
कोई रितु उन्हें ना भाती है
ना कोई रूत ना भाये है मौसम
चांदनी रात दिल दुखाती है
एक अर्से से खुद में खोए हो
याद किसकी तुम्हें सताती है
1 comment:
dil ko choo gayi ye kavita. bahut achi hai
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