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Oct 11, 2011

=> तुम जीता किये हमसे मै हरदम ही हारा

 गजल सम्राट जगजीत सिंह के निधन से पूरा देश स्तब्ध !....................आखिरी जाम में क्या बात थी ऐसी साकी,  हो गया पीके जो खामोश वो खामोश रहा
                            
          ग़ज़ल गायकी के 'सरताज' और 'आवाज़ के जादूगर' जगजीत सिंह आखिर अपनी ही साँसों से हार गए, उन्ही के साथ ही सम्मोहित कर देने वाली आवाज़ का भी सदा-सदा के लिए विलय हो गया! ग़ज़ल को नया आयाम देने वाले जगजीत २३ सितम्बर को 'ब्रेन हम्ब्रेज' होने की वजह से मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती थे! डाक्टर्स की तरकीब और चाहने वालों की दुआंए भी उस वक़्त निस्तेज हो गयी जब खुदा ने उन्हें "हारा-हुआ" घोषित कर दिया इस तरह अपनी मखमली आवाज़ से जग को जीत लेने वाले जगजीत स्वयं से हार गए! सत्तर वर्ष की आयु में वक़्त ने उन्हें, इकलौते बेटे 'विवेक' की मौत से लेकर सौतेली बेटी 'मोनिका' के आत्महत्या तक का मंजर दिखाया, परन्तु 'ब्रेन हैम्ब्रेज' का  झटका ऐसा था जिसने हम सभी चाहने वालों से उन्हें "झपट" लिया और 10 -अक्टूबर की सुबह उनके पत्नी "चित्रा सिंह" को भी तनहा बना दिया! हाय रे समय - "जिसको हम गुनगुना नही सकते, तुमने ऐसा गीत क्यों गाया"! मगर कर भी क्या सकते हैं जो शास्वत सत्य है उसे स्वीकार ही करना पड़ेगा यही जीवन का मर्म है-
"एक मुसाफिर के सफर जैसी है सबकी दुनिया
कोई जल्दी में कोई देर से जाने वाला"








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