अगर आपके पास किसी कार्य को करने के लिए ज्यादा लोग नहीं है तो घबड़ाने की कोई बात नही है ! ज्यादा लोग यानि ज्याद विनाश ? स्पेशिंग जितनी ज्यादा होगी उतना ही अच्छा होगा आपके लिए , उतना ही खिल कर / खुल कर काम कर पायेंगे आप! भीरू लोगों की आवश्यकता नही है, कायर लोगो की
आवश्यकता नही है क्योंकि वो हमारे लिए ही घातक होंगे ? दूसरी बात हमें ऐसे लोगो की भी
आवश्यकता नही है जो खुद को साहसी और बलवान मानते है ? हमें उन ब्यक्तियों से संपर्क रखना चाहिए जो बागी हैं , दिलेर हैं जिनके रगों में संकट से उलझकर फतह पाने का तीक्ष्ण अनुभव है , जो वास्तविक तौर पर निर्भीक हैं ?
हमें बीती तस्बीर दिखाने वालों की भी आवश्यकता नहीं है , हमें भविष्य वक्ताओं की भी जरूरत नहीं है? हमें सिर्फ वर्तमान उपभोक्ताओं की जरूरत है , जो Prasent में जीते हैं जो सोच को कार्य रूप देते हैं ? जरा गहराई से समझें इसे - कृष्ण पक्ष की अर्ध-रात्रि का समय है गाँव का एक व्यक्ति घर से बाहर निकलता है और अचानक उसे कुछ दिखाई पड़ता है जिससे वो चीखने लगता है, पल भर में सैकड़ों की भीड़ जमा हो गयी लोग समझते है की ये तो शेर है जो गाँव की तरफ ही आ रहा है ............
भीड़ का कुछ हिस्सा जो खुद को बलवान मानता था, रौब में बोला चलो इसे मार देते हैं ..........
भीड़ का कुछ हिस्सा जो भीरु और डरपोक है वो कहता है की जान बचाओ यहाँ से भाग निकालो...........
लेकिन समस्या का हल न तो शेर मारने से होगा और न ही भागने से ?
तो आप सोच रहे होंगे की क्या करना चाहिए ? क्या कोई भीच का रास्ता है ?
अरे नहीं नहीं ...........मुझे बीच के रस्ते यानी शोर्टकट से सख्त नफरत है ? मै या तो शून्य यानि जीरो या फिर शौ फ़ीसदी यानि 100 % पर यकीन करता हूँ .......या तो भाग जाओ तब बचोगे या फिर जूझ जाओ तब जीतोगे...........
सही मायने में हम सब ये सोच कर गलतफहमी में हैं ........
हमें सिर्फ धैर्य रखना होगा ...Patienc only मन में फौलादी इरादा और आत्मा में साहस और धैर्य रखकर उसे परखना होगा... उसकी तरफ जाना होगा ... उसे समझाना होगा ......
भीड़ का कुछ हिस्सा इसी प्रकृति की थी जिसने सिर्फ धैर्य रखा ...दिल को मजबूत बनाकर .....और पाया की अरे ये तो शेर नहीं खेत में फसल की रखवाली के खड़ा किया किया गया एक "पुतला" है ?
मामला साफ़ हो गया ..........कायरों अब न तो तुम्हे भागने की जरूरत है और न ही बलवानों को इससे भिड़ने की जरूरत है ...........
आप की राय क्या है? हमें जरूर बताएं...............
e-mail me at- tnraj007@gmail.com
2 comments:
great think sochna aur samjhna jaruri hai na ki bagna aur bhidna.
thanks Amit......
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