अगर आपके पास किसी कार्य को करने के लिए ज्यादा लोग नहीं है तो घबड़ाने की कोई बात नही है ! ज्यादा लोग यानि ज्याद विनाश ? स्पेशिंग जितनी ज्यादा होगी उतना ही अच्छा होगा आपके लिए , उतना ही खिल कर / खुल कर काम कर पायेंगे आप! भीरू लोगों की आवश्यकता नही है, कायर लोगो की
आवश्यकता नही है क्योंकि वो हमारे लिए ही घातक होंगे ? दूसरी बात हमें ऐसे लोगो की भी
आवश्यकता नही है जो खुद को साहसी और बलवान मानते है ? हमें उन ब्यक्तियों से संपर्क रखना चाहिए जो बागी हैं , दिलेर हैं जिनके रगों में संकट से उलझकर फतह पाने का तीक्ष्ण अनुभव है , जो वास्तविक तौर पर निर्भीक हैं ?

भीड़ का कुछ हिस्सा जो खुद को बलवान मानता था, रौब में बोला चलो इसे मार देते हैं ..........
भीड़ का कुछ हिस्सा जो भीरु और डरपोक है वो कहता है की जान बचाओ यहाँ से भाग निकालो...........
लेकिन समस्या का हल न तो शेर मारने से होगा और न ही भागने से ?
तो आप सोच रहे होंगे की क्या करना चाहिए ? क्या कोई भीच का रास्ता है ?

सही मायने में हम सब ये सोच कर गलतफहमी में हैं ........
हमें सिर्फ धैर्य रखना होगा ...Patienc only मन में फौलादी इरादा और आत्मा में साहस और धैर्य रखकर उसे परखना होगा... उसकी तरफ जाना होगा ... उसे समझाना होगा ......
भीड़ का कुछ हिस्सा इसी प्रकृति की थी जिसने सिर्फ धैर्य रखा ...दिल को मजबूत बनाकर .....और पाया की अरे ये तो शेर नहीं खेत में फसल की रखवाली के खड़ा किया किया गया एक "पुतला" है ?
मामला साफ़ हो गया ..........कायरों अब न तो तुम्हे भागने की जरूरत है और न ही बलवानों को इससे भिड़ने की जरूरत है ...........
आप की राय क्या है? हमें जरूर बताएं...............
e-mail me at- tnraj007@gmail.com
2 comments:
great think sochna aur samjhna jaruri hai na ki bagna aur bhidna.
thanks Amit......
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