भारत बन्द का जोरदार असर
मंहगाई, एफ.डी.आई. और भ्रष्टाचार के विरोध में जल उठा मेरठ
बीस सितम्बर को भारत बंद के आह्वान पर सभी व्यापारी, कर्मचारी, नागरिक और बिभिन्न राजनैतिक पार्टिओं सहित आम जनता ने अपने प्रतिष्ठानों को बंद करके पूरा सहयोग दिया ! मंहगाई की आगोश में समाई जनता को अब केंद्र सरकार के विरोध स्वरुप प्रदर्शन करने के शिवा आखिर और रास्ता ही क्या बचा है? तृणमूल कांग्रेस भी है विरोध में ! आर्थिक सुधार हेतु बढ़ी कीमतों को जायज बता रही केंद्र सरकार !
त्रिनाथ मिश्रा , मेरठ !
केंद्र सरकार की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं, सरकार के फैसलों के खिलाफ भारत बंद का चौतरफा असर देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश में जनजीवन सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। रीटेल में एफडीआई, डीजल के दामों में बढ़ोतरी और सस्ते सिलेंडर के कोटे का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने मेरठ में वॉलमार्ट स्टोर के विरोध और मंहगाई को काबू करने के लिए दुकानों को बंद रखा तथा जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया ! कहीं स्टेसन पर ट्रेन रोकी तो कही केंद्र सरकार का पुतला दहन किया मगर सवाल ये है की क्या सरकार इस "भारत बन्द" की पीड़ा को सुनेगी? क्या सरकार बढ़ती मंहगाई को लगाम लगाने में सफल हो पायेगी? बहरहाल इसका जबाब न तो आम जनता के पास है और ना ही विरोध कर कर रहे उन तमाम समाज के ठेकेदारों के पास है जो खुद को जनता के हितैसी मानते हैं ! इसका जबाब तो सिर्फ केंद्र सरकार के पास है जो की चुप्पी साधे हुए है और कुछ भी बोलने से कतरा रही है !
संयुक्त व्यापार मंडल के कार्यकर्ताओं ने बच्चा पार्क चौराहे पर खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार से मांग की ! व्यापारिओं की अगुआई कर रहे पिंटू राणा, सुधीरकान्त शर्मा, चिन्मय भरद्वाज, गौरव शर्मा, जीतू नागपाल ने बीस तारीख को सुबह ग्यारह बजे बच्चा पार्क पर संयुक्त व्यापार मंडल के अन्य पदाधिकारिओं एवं कार्यकर्ताओं के साथ एकत्र होकर 'गधे के आगे बीन बजाकर" विरोध प्रदर्शन किया तथा सोनिया गाँधी और मनमोहन सिंह व केंद्र सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए मुर्दाबाद के नारे लगाए !
गौतलब है की यूं.पी.ए. सरकार की आर्थिक नव उदारीकरण नीतियाँ पूर्ण रूप से अमेरिकी साम्राज्यवाद के फायदे के लिए बनायी गयी हैं तथा अब ऐसा लगता है की केंद्र सरकार अब अपने विवेक और बुद्धि के बल पर चलने में नाकाम हो गयी है और दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही मंहगाई आम जनता को जिन्दा तडपाने को मजबूर कर रही है , उपरोक्त आरोप कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के जिला सचिव सत्यपाल सिंह ने बच्चा पार्क पर अपने उद्बोधन में केंद्र सरकार को निशाना साधते हुए कहा !
सपा का राजनैतिक स्टंट
आम जनता और व्यापारिओं के भारत बन्द और एफ.डी.आई. के विरोध की लपटों में घी डालकर समाजवादी के कार्यकर्ताओं ने भी अपनी भागीदारी दिखाई ! सरोजिनी अग्रवाल की अगुआई में महिलाएं तथा गुलाम मुहम्मद, रफीक अंसारी की अगुआई में युवा व पुरुष कार्यकर्ताओं ने सपा समर्थको के साथ बेगम पुल पर केंद्र सरकार का पुतला जलाकर और सरकारी बसों को रोककर अपना राजनैतिक स्टंट किया ! एफ.डी.आई. को रोजगार के क्षेत्र में सबसे बड़ा दुश्मन तथा गैस सिलेंडर और पेट्रोल, डीजल के बेतहासा बढ़ रही कीमतों को आम पब्लिक के लिए घातक बताया ! प्रदर्शन के दौरान बेगम पुल पर सपा कार्यकर्ताओं का हजूम उमड़ पडा था मगर धूप में खड़े होने की हिमाकत ज्यादातर लोंगो ने नहीं की , जिससे जाहिर होता है की सपा आम आदमियों के लिए नहीं बल्कि मीडिया में अपनी उपस्थिति दर्जा कराने के लिए और खुद को जनता का सेवक साबित करने हेतु प्रदर्शन कर रही थी!
केंद्र सरकार बेसर्म है : बीजेपी सांसद राजेंद्र अगरवाल
भारत बन्द के दौरान भारतीय जनता पार्टी के सांसद राजेंद्र अगरवाल अपने कार्यकर्ताओं सहित बिभिन्न इलाकों में प्रदर्शन कर दुकानों को बन्द कराया तथा केंद्र सरकार को चोर, निकम्मी और अब तक की सबसे भ्रष्ट सरकार का दर्जा देते हुए सत्ता के मद में चूर होकर आम जनता का शोषक बताया और कहा की जनता इस सरकार को आने वाले चुनावी सीजन में सबक जरूर सिखाएगी क्योंकि अंतिम फैसला जनता के हांथो में ही होता है ! उन्होंने कहा की अब पानी शर के ऊपर पहुँच चुका है आम जनता अब इस सरकार को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगी और न ही भबिष्य में इस सरकार पर अपना बिश्वास जताएगी !
भारत बन्द के सफल अभियान में पुलिस प्रशासन का भी अहम किरदार रहा ! पुतला दहन, रोड जाम और विरोध प्रदर्शन स्वरुप हो रही अनियमितताओं के बीच पुलिस ने भी कमान को बखूबी सम्भाला और किसी भी अनहोनी से बचने हेतु चप्पे-चप्पे पर गहरी पैठ बनाकर यातायात और जाम मुक्ति हेतु विशेष व्यवस्था कर राखी थी !
'ममता' ने भी दिखाई निर्दयता, सरकार जुटी मनाने में
तृणमूल कांग्रेस ने किराना (रिटेल) क्षेत्र में 51 फीसदी एफडीआई की मंजूरी देने, डीजल पांच रुपये प्रति लीटर महंगा करने और लोगों को साल में सिर्फ 6 रियायती सिलेंडर देने की समय सीमा तय करने के विरोध में अपने मंत्रियों के इस्तीफे का ऐलान और अब प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांग कर सरकार को मुसीबत में डाल दिया है। ज्यादातर राज्य सरकारें, खास कर गैर कांग्रेस शासित राज्य, भी रिटेल में एफडीआई के विरोध में हैं ।केंद्र सरकार इन फैसलों को आर्थिक सुधार के लिए जरूरी मान रही है और इन पर अडिग है। वह तृणमूल को मनाने की कोशिशें भी जारी रखे हुए हैं। पर अगर ममता नहीं मानीं तो क्या होगा? सरकार के पास क्या विकल्प हैं?
पेट्रोल और डीजल होगा अभी और महँगा
डीजल पर एक साथ 5 रुपए की बढ़ोतरी पर अभी विवाद थमा नहीं कि फिर पेट्रोल-डीजल के मद में इजाफा करने की तैयारी है। लंबे इंतजार के बाद पेट्रोलियम मंत्रालय ने पेट्रोल पंप डीलरों को तेल बिक्री पर अगले 15 दिन में कमीशन बढ़ाने का आश्वासन दे दिया है। अगर फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया पेट्रोलियम ट्रेडर्स की बिक्री पर 5 प्रतिशत कमीशन की मांग पर तेल कंपनियां स्वीकार कर लेती हैं तो यह पेट्रोल पर प्रति लीटर 73 पैसे और डीजल पर प्रति लीटर 42 पैसे होगी। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह बढ़ोतरी ग्राहकों से वसूली जाएगी या फिर फिलहाल तेल कंपनियां ही इसे वहन करेंगी।
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया पेट्रोलियम ट्रेडर्स के महासचिव अजय बंसल ने बुधवार को बताया कि आज उनके प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी से मुलाकात की। मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया कि अगले पंद्रह दिन में उन्हें पेट्रोल-डीजल पर बढ़ा हुआ कमीशन मिलने लगेगा। इसके लिए तेल कंपनियों को निर्देश दिए जा चुके हैं। बंसल ने बताया कि पेट्रोलियम मंत्रालय से हमने पेट्रोल-डीजल की बिक्री पर प्रति लीटर 5 प्रतिशत का कमीशन मांगा है लेकिन तेल कंपनियां अगले पंद्रह दिन में बताएंगी कि कितना कमीशन देंगी।अगर हमारी मांग मानी जाती है तो पेट्रोल पंप डीलर को प्रति लीटर पेट्रोल पर 73 पैसे और डीजल पर प्रति लीटर 42 पैसे का कमीशन हासिल होगा। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अधिकारी ने इस संबंध में कहा कि फिलहाल यह तय नहीं किया गया है कि यह भार ग्राहक पर डाला जाएगा या फिर तेल कंपनियां ही इसे वहन करेंगी। कंपनियां अगले 15 दिन में इस पर अपनी रपट देंगी। उसके आधार पर फैसला किया जाएगा। इस अधिकारी ने कहा, ‘ऐसे में जब सरकार दाम बढ़ोतरी पर अडिग है तो यह संभव है कि यह बढ़ोतरी ग्राहकों के ऊपर डाल दी जाए। हालांकि अंतिम फैसला तेल कंपनियों की रपट के बाद ही होगा।’
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