वाद-विवाद प्रतियोगिता में बच्चों की तन्मयता और बेबाक टिप्पड़ी के सभी हुए कायल
"राष्ट्रीय एकता
में जातिवाद और धर्म बाधक तत्त्व?" विषय पर एक वाद-विवाद प्रतियोगिता का
आयोजन 'सूर्योदय कल्याण समिति' की तरफ से आर्य समाज सदर मेरठ में किया
गया? कार्यक्रम की शुरुआत समिति की सचिव सुधा शर्मा ने किया तथा अध्यक्षता
लक्ष्मी नारायण वशिष्ठ ने किया। कार्यक्रम में मेरठ के कई स्कूल व विद्यालय
के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।
अपनी अच्छी प्रस्तुति और संवाद शैली के कारण आर्य कन्या इंटर कालेज की छात्रा भानु ने प्रथम जबकि बीके माहेश्वरी स्कूल की छात्रा हिना सैनी ने द्वतीय स्थान हासिल किया, इसी क्रम में स्माइल नेशनल महिला महाविद्यालय की छात्रा आफरीन गाँजी ने तृतीय स्थान हासिल किया। इस दौरान प्रतिभागियों के वक्तव्यों का अर्थ यह निकला की जातिवाद और धर्म राष्ट्रीय एकता में बिलकुल भी बाधक नहीं हैं, यदि हर मनुष्य शिक्षित और जागरूक हो जाए। एक छात्रा की टिप्पड़ी, "बेटा अपने बाप से क्यों लड़ता है?" से सभागार में उपस्थित सभी चकित हो गए, जबकि दूसरी छात्रा ने टुकड़ों में बटकर अपनी ऊर्जा को एकत्रित न कर पाने का कारण जाती और धर्म को ही बताया। मुख्य अतिथि सुशील बंसल ने विजेताओं को प्रतीक चिह्न व प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया।
निर्यायक मंडल में वरिष्ठ पत्रकार त्रिनाथ मिश्र, समाजसेविका गरिमा त्यागी और कवि व साहित्यकार हरी नारायण दीक्षित ने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया तथा प्रतिभागियों के हर पहलू को परखते हुए उनके प्रतिभा के साथ निर्णय किया । प्रतिभागियों के हौसला बढाने हेतु अतिथि के रूप में इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता डॉ नील कमल, मेरठ बार एसोसिएसन की संयुक्त मंत्री निशा तायल सहित सैकड़ों की संख्या में बुद्धिजीवियों की उपस्थिति बनी रही।
अपनी अच्छी प्रस्तुति और संवाद शैली के कारण आर्य कन्या इंटर कालेज की छात्रा भानु ने प्रथम जबकि बीके माहेश्वरी स्कूल की छात्रा हिना सैनी ने द्वतीय स्थान हासिल किया, इसी क्रम में स्माइल नेशनल महिला महाविद्यालय की छात्रा आफरीन गाँजी ने तृतीय स्थान हासिल किया। इस दौरान प्रतिभागियों के वक्तव्यों का अर्थ यह निकला की जातिवाद और धर्म राष्ट्रीय एकता में बिलकुल भी बाधक नहीं हैं, यदि हर मनुष्य शिक्षित और जागरूक हो जाए। एक छात्रा की टिप्पड़ी, "बेटा अपने बाप से क्यों लड़ता है?" से सभागार में उपस्थित सभी चकित हो गए, जबकि दूसरी छात्रा ने टुकड़ों में बटकर अपनी ऊर्जा को एकत्रित न कर पाने का कारण जाती और धर्म को ही बताया। मुख्य अतिथि सुशील बंसल ने विजेताओं को प्रतीक चिह्न व प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया।
निर्यायक मंडल में वरिष्ठ पत्रकार त्रिनाथ मिश्र, समाजसेविका गरिमा त्यागी और कवि व साहित्यकार हरी नारायण दीक्षित ने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया तथा प्रतिभागियों के हर पहलू को परखते हुए उनके प्रतिभा के साथ निर्णय किया । प्रतिभागियों के हौसला बढाने हेतु अतिथि के रूप में इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता डॉ नील कमल, मेरठ बार एसोसिएसन की संयुक्त मंत्री निशा तायल सहित सैकड़ों की संख्या में बुद्धिजीवियों की उपस्थिति बनी रही।
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