संसार के बदलने की प्रतीक्षा मत करना
अन्यथा तुम बैठे रहोगे प्रतीक्षा करते करते,
अंधेरे में ही जीयोगे,
अंधेरे में ही मरोगे।
संसार तो सदा है। तुम अभी हो, कल विदा हो जाओगे।
इसलिए एक बात खयाल में रख लेना।
*बदलना है स्वयं को*
कितने ही तूफान हों,
कितनी ही आधियां हों,
भीतर एक ऐसा दीया है कि
उसकी शमा जलाई जा सकती है
कितना ही अंधकार हो बाहर, भीतर एक मंदिर है जो रोशन हो सकता है।
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