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परीक्षण -
इस शोध के लिए एक बुढे चूहे को एक विशेष ड्रग दिया गया. दो महिने के ड्रग सेवन के दौरान उसके शरीर के एक एंजायम को प्रभावित किया गया और इससे उसके शरीर में नए कोष जन्म लेने लगे. उसकी चमडी कठोर हो गई. यही नहीं उसकी प्रजनन क्षमता भी फिर से सुचारू हो गई और उसने कई बच्चों को जन्म भी दिया.
टेलोमेरेज़ -
यह शोध जिस आधार पर विकसित की गई है वह है शरीर में पाए जाने वाले टेलोमेरेज़. ये बायोलोजिकल घडियाँ होती हैं जो क्रोमोज़ोम को खत्म होने से रोकती है. समय के साथ ये छोटी और छोटी होती रहती हैं और इससे उम्र संबंधित बीमारियाँ होने लगती है. धीरे धीरे टेलोमेरेज़ इतनी छोटी हो जाती है कि कोष मरने लगते हैं. टेलोमेराज़ नामक एंजायम टेलोमेर को फिर से जागृत कर सकता है परंतु वह शरीर में बंद किया हुआ होता है. डिपीन्हो की टीम ने इस एंजायम को जागृत करने में सफलता पाई और इससे टेलोमेर फिर से जागृत हुए और कोषों में भी नवजीवन का संचार हुआ.
तो क्या बुढापा अब दूर की कौड़ी होगा -
नहीं, इस शोध से यह पता चला है कि एक विशेष एंजायम को प्रभावित कर कोषों में नया जीवन भरा जा सकता है. झुर्रियाँ हटाई जा सकती है और इंसान स्वस्थ महसूस कर सकता है. परंतु उम्र के बढने के साथ कई और लक्षण भी उत्पन्न होते हैं जिन्हें नहीं रोका जा सकता. यानी कि इंसान की अवश्यम्भावी मृत्यु को तो नहीं रोका जा सकता परंतु उसे दुखदायी बनने से रोका जा सकता है.
परंतु इसका अभी और परीक्षण होना बाकी है ?
2 comments:
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
भई, वैज्ञानिक कह तो यही रहे है कि बुढ़ापे से निजात मिल जाएगी.लेकिन क्या क़ुदरत को ये मंज़ूर होगा
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