पढ़ाई और गोल्डन फ्यूचर की चाहत में गर्ल्स इस कदर अपने आपको व्यस्त कर लेती हैं कि कब शादी, प्रेग्नेंसी की सही उम्र निकल जाती है, पता ही नहीं चलता। एक बार सही एज निकलने के बाद या तो प्रेग्नेंसी कन्सीव नहीं होती या होती भी है तो कभी मिसकेरेज और हाइपर टेंशन की समस्या देखने को मिलती है। कभी-कभी तो कंडीशन इतनी खराब हो जाती है कि मां और बच्चे को बचा पाना भी मुश्किल होने लगता है। विशेषज्ञ का मानना है कि ये सारी कंडीशन क्रिएट न हो, इसलिए ऎसी परिस्थितियों से बचना चाहिए तथा प्रोफेशनल के साथ पर्सनल लाइफ पर भी ध्यान देना चाहिए।
डाउन सिण्ड्रोम की समस्या
नॉर्मल डिलेवरी की उम्र 25 से 30 वर्ष तक होती है, लेकिन कॅरियर में ग्रोथ की चाहत ने शादी के साथ प्रेग्नेंसी भी लेट होती जा रही है। ऎसे में लेट प्रेग्नेंसी के दौरान कम एज की महिलाओं की अपेक्षा अधिक एज की महिलाओं के बच्चे में बर्थ डिफेक्ट जैसे डाउन सिण्ड्रोम की समस्या अधिक देखने को मिलती है।
विशेषज्ञ का कहना है कि 25 उम्र की 1250 महिलाओं के बच्चों में यदि डाउन सिण्ड्रोम की समस्या एक होती है। 30 साल उम्र की 1000 महिलाओं के बच्चों में से एक, 35 वर्ष की 400 महिलाओं के बच्चों में से एक तथा 40 वष्ाü की 100 महिलाओं के बच्चों में एक डाउन सिण्ड्रोम से ग्रसित होता है। इस तरह बढ़ती उम्र में प्रेग्नेंसी से डाउन सिण्ड्रोम बच्चे के ग्रसित होने की आशंका बढ़ जाती है।
हार्मोनल डिस्टरबेस
लेट प्रेग्नेंसी की वजह से बॉडी में इस्ट्रोजन हार्मोस की अधिकता होने से फाइब्रोइड, एन्डोमीट्रिओसिस होने की आशंका बढ़ जाती है। प्रेग्नेंसी कन्सीव हो भी गई तो 32 से ऊपर की महिलाओं में मिसकैरेज की आशंका 20 प्रतिशत अधिक हो जाती है।
जान का खतरा
- ओवम फॉर्मेशन की कैपिसिटी कम
- मां और बच्चे की जान को खतरा
- मिसकेरेज की आशंका अधिक होना
- बर्थ डिफेक्ट्स की आशंका
- प्रेग्नेंसी इंडयूस्ड हाइपर टेंशन
- प्री एक्लेम्सिया
- बच्चे का वजन कम होना
- डिलीवरी में समस्या
- सिजेरियन की आशंका बढ़ जाती है।
सलाह
- प्रोफेशनल के साथ पर्सनल लाइफ पर ध्यान दें
- हो सके तो 30 के पहले ही गर्भधारण करें
- प्रेग्नेंसी के बाद सावधानी रखें
- संतुलित आहार लें
- फोलिक एसिड का नियमित सेवन करें
- कॉफी, अल्कोहल, स्मोकिंग न करें
- चेकअप नियमित रूप से कराना चाहिए
1 comment:
very nice sir..........thanks for this article
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