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Jun 17, 2014

=> बच्चों की छुट्टियां और नानी का घर

 
राहुल की मां उसे नानी के घर चलने के लिए मना रही थी। मगर राहुल जाना नहीं चाहता था। उसे अपने दोस्त, कम्प्यूटर और मोबाइल की दुनिया ज्यादा पसंद थी। गर्मी की छुट्टियां शुरू होते ही बच्चे अब मौज-मस्ती करना ज्यादा पसंद करते हैं। उन्हें न दादी के घर जाना अच्छा लगता है और न नानी के घर। 
             राहुल की मां उसे नानी के घर चलने के लिए मना रही थी। मगर राहुल जाना नहीं चाहता था। उसे अपने दोस्त, कम्प्यूटर और मोबाइल की दुनिया ज्यादा पसंद थी। गर्मी की छुट्टियां शुरू होते ही बच्चे अब मौज-मस्ती करना ज्यादा पसंद करते हैं। उन्हें न दादी के घर जाना अच्छा लगता है और न नानी के घर। माता-पिता बच्चों को सही शिक्षा नहीं दे पाते इसलिए वे परिवार का महत्व और जीवन मूल्य के बारे में बताने के लिए दादी या नानी के घर ले जाना बेहतर समझते हैं।
          आधुनिक जीवनशैली ने माता-पिता को इतना व्यस्त बना दिया है कि उनके पास बच्चों के लिए समय ही नहीं। इसलिए गर्मियों में घर में हुड़दंग मचाने वाले बच्चों से निजात पाने के लिए कई मां-बाप उन्हें हॉबी क्लासेज में डाल देते हैं। नतीजा बच्चे छुट्टियों का मजा नहीं ले पाते। वैसे भी महीने भर की क्लास में ढंग से कुछ सीख भी नहीं पाते। पैसे की बर्बादी अलग होती है।
याद कीजिए अपनी गर्मी की छुट्टियों के दिन। नानी के घर जाने के लिए किस तरह ट्रेन में खिड़की वाली सीट पर पहले जाकर बैठ जाते थे ताकि रास्ते भर बाहर का नजारा देख सकें। चलती पटरियों को देखकर खुश हो जाते थे कि अब मजे के दिन शुरू होने वाले हैं। जी भर के सोएंगे। नानी का प्यार मिलेगा। मनपसंद खाने-पीने की चीजें मिलेंगी। साथ ही बाग-बगीचे में होगी दिन भर की धमा चौकड़ी। न धूप का डर न लू की चिंता। साथ में यह भी समझते थे कि परिवार क्या होता है। इस तरह बच्चों को अच्छे संस्कार मिलते थे। आपको यह भी याद हो कि रात में थक-हार कर जब सोने जाते तो नानी सिर को सहलाते हुए कहानियां सुनाती और तब कुछ ही देर में मीठी नींद आ जाती।

गर्मी की छुट्टियों में बच्चों को अपने मन की करने का पूरा हक है। इसलिए उन्हें थोड़ी मस्ती करने दें। छुट्टियों में बच्चों के साथ कहीं घूमने निकल जाएं ताकि वे देश की संस्कृति और सभ्यता के बारे में जान सकें और उससे जुड़ सकें।

             गर्मी की छुट्टियों में बच्चों को अपने मन की करने का पूरा हक है। इसलिए उन्हें थोड़ी मस्ती करने दें। छुट्टियों में बच्चों के साथ कहीं घूमने निकल जाएं ताकि वे देश की संस्कृति और सभ्यता के बारे में जान सकें और उससे जुड़ सकें। उनके साथ ज्यादा से ज्यादा लाभ समय बिताने की कोशिश करें क्योंकि यही समय होता है जब आप बच्चों से खुल कर और आराम से बात कर सकते हैं। वरना भागदौड़ की जिंदगी में बच्चों से मिलने का समय नहीं बचता।
कुछ दिन के लिए उन्हें नानी-दादी के पास घुमाने के लिए ले जाएं ताकि उन्हें अपने रिश्ते का महत्व भी समझते का मौका मिले। उनके साथ रह कर वह काफी कुछ सीख सकते हैं।
              छुट्टियों के चार-पांच दिन उन्हें ऐसी जगह ले जाएं, जहां वह कुछ सीख सकें। जैसे चिड़ियाघर, विज्ञान केंद्र, संग्रहालय, तारामंडल या कोई ऐतिहासिक धरोहर वाली जगह। मगर इन सबसे बड़ी बात गर्मियों में बच्चों का ख्याल रखना जरूरी है। उनके मोबाइल का डेटा, फेसबुक पर क्या चल रहा है और उसके कौन-कौन दोस्त है, सबकी जानकारी रखें। नेट पर बैठते समय बच्चों के साथ जरूर रहें और बातें शेयर करें।
                   इसके साथ ही गर्मी की छुट्टियों में बच्चों की सेहत का ध्यान रखना जरूरी है ताकि वे बीमार न पड़ें। इन दिनों की मौज-मस्ती के दौरान खाने-पीने में लापरवाही भारी पड़ती है। घर में बने शर्बत, ठंडाई, लस्सी दें। बाहर से शीतल पेय मंगाने पर रोक लगाएं और उसमें हानिकारक तत्वों के बारे में बच्चों को बताए। बाहर के गोल गप्पे और चाट खाने के बजाए बच्चों के लिए ये चीजें घर पर ही बनाएं। फ्रूट जूस और हरी सब्जियों पर इन दिनों जोर दें। बच्चों को गर्मियों में ज्यादा से ज्यादा पानी पीने के लिए कहें। जब बच्चे धीरे-धीरे बात मानने लगें तो बाहर से टैक्सी बुलाइए और अपने शहर की ही सैर पर निकल जाइए। ख्याल रहे कि कड़ी धूप में बच्चे न रहें।

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