सियासत संवाददाता
मेरठ। सुरक्षा, सम्मान एवं एकजुटता को लेकर मेरठ के पत्रकारों ने एक बैठक का आयोजन किया जिसमें जनपद के अखबार, टीवी चैनल, पत्रिका के संपादक, संवाददाता मौजूद रहे। बैठक का मुख्य विषय पत्रकारों
पर लगातार हो रहे हमलों पर केंद्रित था। इसके अलावा बुलंदशहर एवं शामली में पत्रकारों से अभद्रता होना, मेडिकल कालेज मेरठ के सीएमएस को पत्रकार से मारवीट करवाने के कारण सस्पेंड करना, अंकुरित हो रहे पत्रकारों के समुचित विकाश हेतु वर्कशाप आयोजित करना, पत्रकारों के बेहतर स्वास्थ्य मेडिकल कैंप का आयोजन करना आदि मुद्दों पर चर्चा हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता अरविन्द गोयल एवं संचालन परवेज त्यागी ने किया।
सभा के दौरान अपने आचारण को अच्छा बनाने, पत्रकारों की आर्थिक मदद हेतु फण्ड बनाना, मनभेद को मिटाना, छोटे-बड़ों का अन्तर खत्म करना, संगठित होकर कार्य करना, अपनी मर्यादा का पालन करना एवं सही मायने में पत्रकार की भाषा को समझने आदि बातों पर प्रकाश डाला गया। सभा में वक्तव्य के दौरान गुरमीत साहनी ने कहा कि पत्रकारों के हितों की बात कहने वालों को एजेण्डा बनाकर कार्य करना चाहिये। अपने अहंकार को त्याग कर ही कोई सही मायने में पत्रकार बन सकता है। पत्रकारों को एक-दूसरे के चरित्र, कार्य एवं निजी जिंदगी के सम्बंध में प्रमाणपत्र देने की बुरी अवधारणा को समाप्त करना चाहिये। अखबार निकालने के नियमों में सख्ती की जाये। श्याम परमार ने कहा कि चुनाव-विहीन प्रेस क्लब की
स्थापना ही पत्रकारेां के लिये सबसे बड़ी जीत होंगी।
पत्रकार की हैसियत को मिली चुनौती
सभा के दौरान ब्रिजेश चौधरी ने कहा कि, ‘बुलंदशहर में पत्रकार की हैसियत को चुनौती देने वाली जिलाधिकारी को अब जवाब दिया जाना चाहिये। असके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि अपना प्रेस क्लब होते हुये भी सर्किट हाउस में जमीन पर बैठकर सभा की जा रही है, इससे बड़ा दुर्भाग्य और कुछ भी नहीं हो सकता। अपने सभी दातों को मजबूत बनायें तो चना चबाने में भी सहूलियत हो जायेगी।
मनमोहन भल्ला ने कहा कि, ‘हमीं बुनियाद के खम्भे हैं.. हमें घर से निकाला जा रहा है।’ सुनील बादली ने कहा कि अपने आचरण को सही करें, संगठित हों तो मन से दिखावे में नहीं। पत्रकारों की सहायता हेतु फण्ड बने। ज्ञान प्रकाश ने कहा, ‘पत्रकारों पर हमला तब होता है जब लीक से हटकर कार्य होता है। हरेंन्द्र चौधरी ने पत्रकारों के लिये बीमा कराने की बात बड़ी ही दृढ़ता के साथ रखी। दिनेश चंद्रा ने हैसियत का आकलन करने की जरूरत पर बल दिया। कमल भार्गव ने कहा कि पत्रकार को यह सोचना चाहिये कि क्या वह वाकई स्मार्ट है? हमें आईटी सेल के एक व्यक्ति को चुनकर उसे ही ग्रुप और सोशल साइट चलाने की बात कहनी चाहिये। बल्कि ह्वाट्सएप ग्रुप न बनाकर ब्रॉडकास्ट लिस्ट के जरिये अपने मीटिंग की सूचना पहुंचानी चाहिये। उस्मान चौधरी ने कहा कि पत्रकार होने का का्रइटेरिया बने और किसी भी जीत को हासिल करने के लिये अपने आप को परिभाषित करना बेहद जरूरी है।
राजेन्द्र चौहान ने अनुशासन को जरूरी बताया तो वहीं अरविन्द शुक्ल ने सभा में पत्रकारों के मतभेदों को सुलझाने का सफल प्रयास भी किया। सभा के अन्त में चीकू कौशिक की रिश्तेदार के निधन पर मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान धर्मेंद्र कुमार, सुभाष चंद्र, अनवर जमाल, नाहिद फात्मा, संगीता श्रीवास्तव, शाहीन परवीन, राशिद खान, ब्रिजेश जैन, नईम सैफी, सचिन गुप्ता, सलीम अहमद, त्रिनाथ मिश्र, अब्दुल कादिर, वरूण शर्मा, पूजा रावत, आदेश जैन, सुन्दर, अभिषेक, अभय प्रताप, मनव्वर चौहान, संजीव शर्मा, राहुल राणा, के अतिरिक्त जनपद के समस्त पत्रकार उपस्थित रहे।
सर्किट हाउस में पत्रकारों की सभा आयोजित
पत्रकारों पर हमले की हुई निंदा
मेरठ। सुरक्षा, सम्मान एवं एकजुटता को लेकर मेरठ के पत्रकारों ने एक बैठक का आयोजन किया जिसमें जनपद के अखबार, टीवी चैनल, पत्रिका के संपादक, संवाददाता मौजूद रहे। बैठक का मुख्य विषय पत्रकारों सभा के दौरान अपने आचारण को अच्छा बनाने, पत्रकारों की आर्थिक मदद हेतु फण्ड बनाना, मनभेद को मिटाना, छोटे-बड़ों का अन्तर खत्म करना, संगठित होकर कार्य करना, अपनी मर्यादा का पालन करना एवं सही मायने में पत्रकार की भाषा को समझने आदि बातों पर प्रकाश डाला गया। सभा में वक्तव्य के दौरान गुरमीत साहनी ने कहा कि पत्रकारों के हितों की बात कहने वालों को एजेण्डा बनाकर कार्य करना चाहिये। अपने अहंकार को त्याग कर ही कोई सही मायने में पत्रकार बन सकता है। पत्रकारों को एक-दूसरे के चरित्र, कार्य एवं निजी जिंदगी के सम्बंध में प्रमाणपत्र देने की बुरी अवधारणा को समाप्त करना चाहिये। अखबार निकालने के नियमों में सख्ती की जाये। श्याम परमार ने कहा कि चुनाव-विहीन प्रेस क्लब की
स्थापना ही पत्रकारेां के लिये सबसे बड़ी जीत होंगी।
पत्रकार की हैसियत को मिली चुनौती
सभा के दौरान ब्रिजेश चौधरी ने कहा कि, ‘बुलंदशहर में पत्रकार की हैसियत को चुनौती देने वाली जिलाधिकारी को अब जवाब दिया जाना चाहिये। असके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि अपना प्रेस क्लब होते हुये भी सर्किट हाउस में जमीन पर बैठकर सभा की जा रही है, इससे बड़ा दुर्भाग्य और कुछ भी नहीं हो सकता। अपने सभी दातों को मजबूत बनायें तो चना चबाने में भी सहूलियत हो जायेगी।
मनमोहन भल्ला ने कहा कि, ‘हमीं बुनियाद के खम्भे हैं.. हमें घर से निकाला जा रहा है।’ सुनील बादली ने कहा कि अपने आचरण को सही करें, संगठित हों तो मन से दिखावे में नहीं। पत्रकारों की सहायता हेतु फण्ड बने। ज्ञान प्रकाश ने कहा, ‘पत्रकारों पर हमला तब होता है जब लीक से हटकर कार्य होता है। हरेंन्द्र चौधरी ने पत्रकारों के लिये बीमा कराने की बात बड़ी ही दृढ़ता के साथ रखी। दिनेश चंद्रा ने हैसियत का आकलन करने की जरूरत पर बल दिया। कमल भार्गव ने कहा कि पत्रकार को यह सोचना चाहिये कि क्या वह वाकई स्मार्ट है? हमें आईटी सेल के एक व्यक्ति को चुनकर उसे ही ग्रुप और सोशल साइट चलाने की बात कहनी चाहिये। बल्कि ह्वाट्सएप ग्रुप न बनाकर ब्रॉडकास्ट लिस्ट के जरिये अपने मीटिंग की सूचना पहुंचानी चाहिये। उस्मान चौधरी ने कहा कि पत्रकार होने का का्रइटेरिया बने और किसी भी जीत को हासिल करने के लिये अपने आप को परिभाषित करना बेहद जरूरी है।
राजेन्द्र चौहान ने अनुशासन को जरूरी बताया तो वहीं अरविन्द शुक्ल ने सभा में पत्रकारों के मतभेदों को सुलझाने का सफल प्रयास भी किया। सभा के अन्त में चीकू कौशिक की रिश्तेदार के निधन पर मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान धर्मेंद्र कुमार, सुभाष चंद्र, अनवर जमाल, नाहिद फात्मा, संगीता श्रीवास्तव, शाहीन परवीन, राशिद खान, ब्रिजेश जैन, नईम सैफी, सचिन गुप्ता, सलीम अहमद, त्रिनाथ मिश्र, अब्दुल कादिर, वरूण शर्मा, पूजा रावत, आदेश जैन, सुन्दर, अभिषेक, अभय प्रताप, मनव्वर चौहान, संजीव शर्मा, राहुल राणा, के अतिरिक्त जनपद के समस्त पत्रकार उपस्थित रहे।
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